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रहीम के दौहे
रहीम के दोहे (नियंत्रण)
रहिमन निज मन की ब्यथा मन ही रारवो गोय
सुनि इठि लहै लोग सब बंटि न लहै कोय ।
अर्थ : अपने मन के दुख को अपने तन में हीं रखना चाहिये।
दूसरे लोग आपके दुख को सुनकर हॅसी मजाक करेंगें लेकिन कोई भी उस दुख को बाॅटेंगें नही।
अपने दुख का मुकाबला स्वयं करना चाहिये ।
रहीम के दोहे (नियंत्रण)
एकै साधै सब सधै सब साधे सब जाय
रहिमन मूलहिं संचिबो फूलै फलै अघाय ।
अर्थ : किसी काम को पूरे मनोयोग से करने से सब काम सिद्ध हो जाते हैं।
एक हीं साथ अनेक काम करने से सब काम असफल हो जाता है।
बृक्ष के जड़ को सिंचित करने से उसके सभी फल फूल पत्ते डालियाॅ पूर्णतः पुश्पित पल्लवित हो जाते हैं।
रहीम के दोहे (नियंत्रण)
ज्यों चैरासी लख में मानुस देह
त्यों हीं दुर्लभ जग में सहज सनेह ।
अर्थ : जिस तरह चैरासी लाख योनियों में भटकने के बाद मनुश्य का शरीर प्राप्त है-
उसी प्रकार इस जगत में सहजता सुगमता से स्नेह प्रेम प्राप्त करना भी दुर्लभ है।
रहीम के दोहे (नियंत्रण)
रहिमन मनहि लगाई कै देखि लेहु किन कोय
नर को बस करिबो कहा नारायराा बस होय ।
अर्थ : किसी काम को मन लगा कर करने से सफलता निश्चित मिलती है।
मन लगा कर भक्ति करने से आदमी को कया भगवान को बस में किया जा सकता है।
रहीम के दोहे (नियंत्रण)
रहिमन रहिला की भली जो परसै चित लाय
परसत मन मैला करे सो मैदा जरि जाय ।
अर्थ : यदि भोजन को प्रेम एवं इज्जत से परोसा जाये तो वह अत्यधिक सुरूचिपूर्ण हो जाता है।
लेकिन मलिन मन से परोसा गया भोजन जले हुये मैदा से भी खराब होता है।
मैदा के इस भोजन को जला देना हीं अच्छा है।
रहीम के दोहे (नियंत्रण)
स्वासह तुरिय जो उच्चरै तिय है निश्चल चित्त
पूत परा घर जानिये रहिमन तीन पवित्त ।
अर्थ : यदि घर का मालिक अपने पारिवारिक कत्र्तब्यों को साधना की तरह पूरा करता है
और पत्नी भी स्थिर चित्त और बुद्धिवाली हो तथा
पुत्र भी परिवार के प्रति समर्पित योग्यता वाला हो तो वह घर पवित्र तीनों देवों का वास बाला होता है।
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